गुमनामी के सागर की ओर

miércoles, noviembre 24, 2021

 गुमनामी के सागर की ओर

कुछ ऐसा हो रहा है। जिंदगी। कभी खामोशी। कभी-कभी शोर। प्रवेश करता है। ऐसा होता है। यह किया जा रहा है। प्रवेश करता है। यह घोंसला बनाता है। गर्मी-आराम। यह समय को अस्तित्व में रखता है। घटनाओं की किताब के लिए। कालातीत शब्दों के लिए। दो होना। तुम्हारे साथ, मेरे साथ, दो। दो पेड़। पहुंचना चाहते हैं। शाखा द्वारा शाखा। चादर से चादर। अनंत जड़ों के बीच हमें ढूंढ रहे हैं। वह भूमिगत हवा। वो चाहत। धरती के अँधेरे में। बहती है, बहती भूमिगत नदी समय की तरलता से भागती है जो हमें गुमनामी के समुद्र की ओर ले जाती है।

सेंस, फिर एक परिकल्पना / थीसिस के रूप में एक्स-आइस्टो।

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